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रूबेला एक संक्रामक रोग है, जो रूबेला वायरस के कारण होता है और इसे रूबेला टीकाकरण (एमएमआर टीकाकरण) की मदद से रोका जा सकता है।

टीआईएपी द्वारा निर्धारित टीकाकरण(वैक्सीनेशन) समय-सारणी टीकाकरण व प्रतिरक्षण प्रथाओं की सलाहकार समिति (एसीवीआईपी) * भारतीय बाल रोग अकादमी (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स)
यदि आप टीकाकरण (वैक्सीनेशन) नही करवा पाये हैं, तो आपको क्या करना चाहिए?
कैच-अप वैक्सीनेशन

यदि आप निर्धारित समय के दौरान इन टीकाकरणों (वैक्सीनेशन) की खुराक नही ले पाते हैं, तो आप कैच-अप टीकाकरण के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

क्या आप जानते थे?
  • • रूबेला से बचाव के टीके मम्पस और खसरा के मिश्रण में भी उपलब्ध हैं।
विलम्ब न करें!

रूबेला टीकाकरण(वैक्सीनेशन) के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

रूबेला क्या है?

इसे जर्मन खसरा के रूप में भी जाना जाता है, रूबेला एक संक्रामक वायरल संक्रमण है और ज्यादातर बच्चों व युवा वयस्कों को होता है। हालांकि इसे जर्मन खसरा भी कहा जाता है, लेकिन यह खसरे से अलग वायरस के कारण होता है।

यह जन्मजात दोष का प्रमुख कारण है, जिसे टीकाकरण से रोका जा सकता है।

रूबेला कैसे फैलता है?

रूबेला ज्यादातर संक्रमित व्यक्ति के खाँसने या छींकने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने पर वायरस फैलता है।
इसके अलावा, रूबेला से संक्रमित गर्भवती महिलाएं से यह उनके विकासशील बच्चों में फैल जाता है।

रूबेला के लक्षण और जटिलताएं क्या हैं?

आमतौर पर इस रोग का बच्चों पर कम प्रभाव दिखाई देता है, और इसके लक्षणों में शामिल हैं:
एक चकत्ता, जिसकी शुरूआत चेहरे पर होती है और पूरे शरीर में फैल सकता है हल्का बुखार गले में खराश हल्का कंजक्टिवाइटिस अर्थात आंख में सूजन जी मिचलाना कुछ बड़े बच्चों और वयस्कों में भी चकत्ते दिखाई देने से पहले सिरदर्द और सामान्य परेशानी हो सकती है।
संक्रमित वयस्क, ज्यादातर महिलाएं, जोड़ों में दर्द या आर्थ्राइटिस से परेशान हो सकती हैं जो लगभग 3-10 दिनों तक रह सकता है।
जटिलताएं रूबेला संक्रमण गर्भवती महिला को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है जैसे कि गर्भस्राव या विकासशील बच्चे में गंभीर जन्मजात दोष। यह रूबेला की सबसे गंभीर जटिलता है।
कॉन्जेनिटल रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) भी रूबेला की एक जटिलता है।
सीआरएस से पीड़ित बच्चों को कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें से प्रमुख हैं:
सुनने में अक्षमता,
आंख और हृदय में दोष
और अन्य आजीवन अक्षमताएं जैसे ऑटिज्म,
डायबिटीज़ मेलिटस,
थायरॉइड डिसफंक्शन उपरोक्त में से अधिकांश के लिए महंगी चिकित्सा, सर्जरी और अन्य तरह के महंगे उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

एक बच्चे को रूबेला टीकाकरण (एमएमआर टीकाकरण) कब लगवाया जाना चाहिए?

बच्चों को तीन खुराक दी जानी चाहिए:
• 9 महीने की उम्र में पहली खुराक
• 15 महीने की उम्र में दूसरी खुराक
• 4 से 6 उम्र के बीच तीसरी खुराक
तीसरी खुराक पिछली खुराक के 8 सप्ताह बाद किसी भी समय दी जा सकती है।

कैच-अप वैक्सीनेशन:
सभी स्कूली उम्र के बच्चों और किशोरों जिन्हें पहले मम्पस टीकाकरण (एमएमआर टीकाकरण) नहीं लगा है, उन्हें 2 खुराक देना जरूरी होता है। यदि उन्हें एक बार टीका लगाया जा चुका है, तो केवल एक खुराक देनी जरूरी है 2 खुराकों के बीच न्यूनतम अंतराल 4 सप्ताह होना चाहिए हालांकि अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

रूबेला टीकाकरण(वैक्सीनेशन) के सामान्य दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) क्या हैं

अधिकांश बच्चों में टीकाकरण के बाद कोई दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) दिखाई नहीं देता है। फिर भी यदि कोई दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) होते हैं, तो ज्यादातर हल्के होते हैं और इसमें से प्रमुख हैं:

• टीकाकरण की जगह पर दर्द, सूजन या लालिमा
• बुखार
• मामूली चकत्ते
• जोड़ों में अस्थायी दर्द और अकड़न

दुष्प्रभावों (साइड इफेक्ट्स) के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

रूबेला कितना गंभीर है?

यह जन्मजात दोष का प्रमुख कारण है, जिसे टीकाकरण से रोका जा सकता है। गर्भवती महिलाओं में * रूबेला के कारण भ्रूण की मृत्यु हो सकती है या जन्मजात दोष उत्पन्न हो सकते हैं। यदि रूबेला वायरस किसी असंक्रमित गर्भवती महिला को संक्रमित कर देता है, तो गर्भपात की संभावना बन सकती है या उसके बच्चे की जन्म के तुरंत बाद मृत्यु भी हो सकती है। उससे उसके विकासशील बच्चे में भी वायरस जा सकता है, जो गंभीर जन्म दोष विकसित कर सकता है जैसे:

• हृदय की समस्याएं
• सुनने और देखने में कमी
• बौद्धिक अशक्तता
• लीवर या प्लीहा को नुकसान इस तरह के गंभीर जन्मजात दोष तब आम होते हैं, जब गर्भवती महिलाएं पहली तिमाही में संक्रमित होती हैं।

इन जन्मजात दोषों को सीआरएस या कॉन्जेनिटल रूबेला सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है।

*गर्भावस्था की प्लानिंग करने से 3 महीने पहले एमएमआर का टीका लगवाना चाहिए।

रूबेला का इलाज क्या है?

इसकी कोई विशेष दवा या इलाज नहीं है। इस रोग को ज्यादातर रूबेला टीकाकरण से रोका जाता है।

किन व्यक्तियों को एमएमआर टीकाकरण नहीं लगवाना चाहिए?

• जिन व्यक्तियों को रूबेला के टीके की पिछली खुराक या टीकाकरण के किसी विशिष्ट घटक से कोई गंभीर और संभावित रूप से जानलेवा एलर्जी संबंधी प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई हो।
• जो रूबेला के टीकाकरण(वैक्सीनेशन) के समय बीमार हों। कृपया डॉक्टर से पूछें कि क्या प्राप्तकर्ता:

1. को एचआईवी/एड्स या कोई अन्य बीमारी है जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है।
2. का 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक उन दवाओं से इलाज किया जा रहा है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं, जैसे स्टेरॉयड,
3. को किसी प्रकार का कैंसर है
4. का दवाओं या विकिरण के साथ कैंसर का इलाज चल रहा है का हाल ही में ट्रांसफ्यूजन हुआ था या उसे कोई अन्य रक्त उत्पाद दिए गए थे गर्भवती महिलाएं और वे महिलाएं जो बच्चे की प्लानिंग* कर रही हैं।

*गर्भावस्था की प्लानिंग करने से 3 महीने पहले रूबेला का टीका लगवाना चाहिए।

ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा प्रारंभ की गई एक जन जागरूकता पहल। डॉ. एनी बेसेंट रोड, वर्ली, मुंबई 400 030, भारत।

इस सामग्री में प्रदर्शित होने वाली जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इस सामग्री में दी गई जानकारी किसी भी तरह का चिकित्सा-संबंधी परामर्श नहीं है। अपनी परिस्थिति के संबंध में किसी भी चिकित्सा-संबंधी संदेह, किसी भी प्रश्न या चिंता के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लें। टीकाकरण(वैक्सीनेशन) के लिए निर्दिष्ट रोग सूची पूर्ण नहीं है, टीकाकरण(वैक्सीनेशन) की पूर्ण समय-सारणी के लिए कृपया अपने बच्चे के बाल रोग चिकित्सक (पीडियाट्रिशन) से परामर्श लें। इस सामग्री में दिखाए गए डॉक्टर केवल उदाहरण के लिए प्रस्तुत किये गये हैं और वास्तव में वे पेशेवर मॉडल हैं। रोग के आइकॉन/चित्र और एनीमेशन केवल उदाहरण के लिए प्रदर्शित किये गये हैं।

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यहाँ बताये गये रोगों की सूची आईएपी (भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी या इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स) द्वारा उनकी सामान्य व कैचअप वैक्सीनेशन सिफारिशों के तहत जारी वैक्सीन द्वारा रोके जा सकने वाले रोगों की सूची में शामिल है। इस सूची के अलावा भी ऐसे कई रोग हो सकते हैं, जो आपके बच्चे को प्रभावित कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने बाल रोग चिकित्सक (पीडियाट्रिशन) से परामर्श लें।
ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा प्रारंभ की गई एक जन जागरूकता पहल। डॉ. एनी बेसेंट रोड, वर्ली, मुंबई 400 030, भारत। इस सामग्री में प्रदर्शित होने वाली जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इस सामग्री में दी गई जानकारी किसी भी तरह का चिकित्सा-संबंधी परामर्श नहीं है। अपनी परिस्थिति के संबंध में किसी भी चिकित्सा-संबंधी संदेह, किसी भी प्रश्न या चिंता के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लें। टीकाकरण(वैक्सीनेशन) के लिए निर्दिष्ट रोग सूची पूर्ण नहीं है, टीकाकरण(वैक्सीनेशन) की पूर्ण समय-सारणी के लिए कृपया अपने बच्चे के बाल रोग चिकित्सक (पीडियाट्रिशन) से परामर्श लें। इस सामग्री में दिखाए गए डॉक्टर केवल उदाहरण के लिए प्रस्तुत किये गये हैं और वास्तव में वे पेशेवर मॉडल हैं।
सीएल कोड: NP-IN-ABX-WCNT-210003, DoP Dec 2021

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